जीते जी प्यार दो थोड़ा…

जीते जी प्यार दो थोड़ा सम्मान दो वक्त की करवटों पर पिघल जाएँगे कल चमकते सितारे भी ढल जाएँगे ये जो अट्टालिकाएँ हैं तनकर खड़ी खण्डहर में इमारत बदल जाएँगे आज कोई गया कल कोई जाएगा काल का चक्र है सबको आजमायेगा और ये पूजन, ये तर्पण, पितरपक्ष से ताप मरुथल का क्या सिक्त हो … Continue reading जीते जी प्यार दो थोड़ा…